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Ricin:क्या जैविक आतंक का नया चेहरा है ‘रिसिन’? अरंडी के बीजों से तैयार रसायन कितना घातक? विशेषज्ञ ने बताया

देश में जैविक आतंकवाद को लेकर इन दिनों गंभीर चिंता बढ़ती जा रही है। गुजरात एटीएस द्वारा हाल ही में पकड़े गए कथित रिसिन टेरर प्लॉट ने इस खतरे को और स्पष्ट कर दिया है। इसी संदर्भ में एम्स के राष्ट्रीय विष सूचना केंद्र के पूर्व प्रमुख डॉ.वाई.के. गुप्ता ने रिसिन के बारे में महत्वपूर्ण चेतावनी दी है। उन्होंने बताया कि रिसिन एक अत्यंत घातक प्रोटीन आधारित रसायन है, जो अरंडी (कास्टर) के बीजों में पाया जाता है और महज 1 मिलीग्राम की मात्रा भी जानलेवा हो सकती है।

सांस, त्वचा और भोजन के जरिए शरीर में करता है प्रवेश

डॉ. गुप्ता के अनुसार यह विष सांस के माध्यम से, त्वचा के संपर्क से या भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह सबसे पहले श्वसन तंत्र पर हमला करता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई, जबकि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) पर प्रभाव से दौरे और सीएनएस डिप्रेशन जैसी गंभीर स्थितियां उत्पन्न होती हैं। अगर इसे निगल लिया जाए तो गंभीर उल्टी, दस्त, रक्तचाप में भारी गिरावट और धीरे-धीरे अंगों के फेल होने का खतरा रहता है, जो अंततः मौत का कारण बन सकता है।

रिसिन को दुनिया के सबसे खतरनाक जैविक आतंकवादी एजेंटों में गिना जाता है

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिसिन का कोई विशिष्ट एंटीडोट उपलब्ध नहीं है, और यही वजह है कि इसे आज भी दुनिया के सबसे खतरनाक जैविक आतंकवादी एजेंटों में गिना जाता है। वह यह भी कहते हैं कि 1970 के दशक में, इसका इस्तेमाल किसी खास व्यक्ति को मारने के लिए किया जाता था। अरंडी के बीज जहरीले हो सकते हैं, और ये इतने सख्त होते हैं कि निगलने पर टूटते नहीं, लेकिन जब टूटते हैं, तो मौत का कारण बन सकते हैं। राइसिन एक प्रोटीन है, गर्म करने पर यह विकृत हो जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि अरंडी का तेल राइसिन-मुक्त हो। निष्कर्षण के बाद, बीजों को केक में बदल दिया जाता है जिसका इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है, और यह राइसिन-मुक्त भी होता है। 

एटीएस ने बड़े जैव-आतंकवादी षड्यंत्र का किया पर्दाफाश

हाल ही में गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते ने एक बड़े जैव-आतंकवादी षड्यंत्र का पर्दाफाश करते हुए तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिनमें हैदराबाद का 35 वर्षीय डॉक्टर अहमद मोहियुद्दीन सैयद भी शामिल है। जांच के अनुसार, आरोपी डॉक्टर अत्यंत घातक विषाक्त पदार्थ रिसिन तैयार करने की कोशिश कर रहा था और पिछले कई महीनों में दिल्ली के आजादपुर मंडी, अहमदाबाद के नारोड़ा फल बाजार और लखनऊ के भीड़भाड़ वाले इलाकों का सर्वे कर चुका था। एटीएस ने उसके पास से दो ग्लॉक पिस्तौल, एक बरेटा पिस्तौल, 30 कार्ट्रिज और चार लीटर कास्टर ऑयल बरामद किया, जिसे रिसिन बनाने में शुरुआती सामग्री माना जाता है। अधिकारियों का कहना है कि सैयद कथित रूप से ISKP और पाकिस्तान-स्थित हैंडलर के संपर्क में था व बड़े पैमाने पर जैविक हमले की योजना बनाई जा रही थी। 

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